डिजिटल जमाने में रियल एस्टेट सेक्टर में होने वाली समस्याएं जैसे देरी से पजेशन (कब्ज़ा) या प्रॉपर्टी फ्रॉड के लिए शिकायत दर्ज करना अब बेहद आसान हो गया है। अब कंज्यूमर कोर्ट में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करना संभव है, जिससे शिकायत करने वालों को वकील की जरूरत नहीं पड़ती और वे आसानी से दोषी बिल्डर को अदालत में खड़ा कर सकते हैं। कंज्यूमर कोर्ट ऑनलाइन इस तरह की समस्याओं का समाधान सरल, सस्ता और प्रभावी तरीके से करता है। 99acres आपको बताएगा कि कैसे आप कंज्यूमर कोर्ट में रियल एस्टेट डेवलपर्स के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
कंज्यूमर कोर्ट का क्षेत्राधिकार क्या है?
कंज्यूमर कोर्ट की थ्री टियर्ड स्ट्रक्चर को समझना आपके मामले को दायर करने में पहला कदम है। आप जिस लेवल की कोर्ट में जाते हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने ओरिजिनली बिल्डर के साथ क्या डील की थी। हमने आपको नीचे रियल एस्टेट लेनदेन में शामिल पैसे के अनुसार कोर्ट के क्षेत्राधिकार (jurisdiction) की डिटेल्स के बारे में बताया है:
संबंधित कंज्यूमर कोर्ट | दावा करने की सीमा |
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डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल फोरम (DCDRF) | यदि दावे का मूल्य 20 लाख रुपये तक है तो कंज्यूमर डिस्ट्रिक्ट-लेवल कंज्यूमर कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं। |
स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसलl कमिशन (SCDRC) | यदि दावे का मूल्य 20 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच है तो स्टेट-लेवल कोर्ट से संपर्क किया जा सकता है। |
नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसलl कमिशन (NCDRC) | दावे का मूल्य 1 करोड़ रुपये से अधिक होने पर कंज्यूमर नेशनल कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। |
कंज्यूमर कोर्ट द्वारा निपटाई जाने वाली अलग-अलग प्रकार की शिकायतें क्या हैं?
कंज्यूमर कोर्ट द्वारा निपटाई जाने वाली अलग-अलग प्रकार की शिकायतों के बारे में हमने आपको नीचे जानकारी प्रदान की है:
- आप खराब कंस्ट्रक्शन क्वालिटी के लिए बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं जिससे निवासियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को खतरा हो सकता है
- अगर घर वह नहीं है जैसा पहले तय किया गया था
- यदि बिल्डर बिल्डिंग में पार्किंग की जगह देने या बनाने में नाकाम रहता है (बहुमंजिला आवास के लिए)
- यदि आपसे सहमति से ज्यादा चार्ज लिया जा रहा है
- बिल्डर कोई भी छिपा हुआ चार्ज वसूलता है जिसकी जानकारी पहले नहीं दी गई थी
- अगर डेवलपर किए गए पेमेंट की रसीद नहीं देता या एडवांस पेमेंट के बाद भी आपको वैलिड सेल एग्रीमेंट नहीं देता है
- डेवलपर की ओर से उचित सूचना के बिना प्रोजेक्ट रद्द कर दिया गया है या रोक दिया गया है
- बिल्डर ने इमारत में रोशनी, वेंटिलेशन या पानी की टंकी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं
- यदि डेवलपर प्रोजेक्ट के कंप्लीशन और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को शेयर करने से इनकार करता है
- अगर डेवलपर ने जो अतिरिक्त बाहरी डेवलपमेंट चार्जेस लगाया है, वह पहले जो तय किया गया था, उससे ज्यादा हो
- बिल्डर तय समय में प्रोजेक्ट पूरा करने में नाकाम रहा
- यदि डेवलपर या रियल एस्टेट एजेंट ने प्रॉपर्टी की बुकिंग/खरीद/बिक्री के दौरान कोई धोखाधड़ी या गबन किया है
- यदि डेवलपर जबरदस्ती कब्जा देता है
बिल्डरों के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कैसे दर्ज करें?
बिल्डरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए नीचे दिए गए इन तीन स्टेप्स को फॉलो करें:
स्टेप 1: डेवलपर को नोटिस जारी करें
कंज्यूमर कोर्ट में किसी भी बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने से पहले शिकायतकर्ता को उसे नोटिस जारी करना चाहिए। यदि आपको खराब कंस्ट्रक्शन के लिए बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज करनी है, तो संबंधित डेवलपर को गलत व्यवहार के बारे में बताना जरुरी है। साथ ही, विपरीत पक्ष को प्रतिक्रिया देने के लिए समय दें। यदि डेवलपर मुआवजा देने को तैयार नहीं है या जारी नोटिस से इनकार करता है, तो आप कंज्यूमर कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं।
स्टेप 2: ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं
जब डेवलपर की ओर से नोटिस का कोई जवाब ना मिले तब आप कोर्ट में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं। सबसे पहले, आपको customerhelpline.gov.in पर एक कंज्यूमर लॉगिन बनाना होगा और साइन अप करना होगा।
स्टेप 1: अपनी वेरिफाई ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर का उपयोग करके साइन अप करें।
स्टेप 2: रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर प्राप्त वन-टाइम पासवर्ड भरें और अपना अकाउंट वेरिफाई करने और दर्ज करने के लिए 'सबमिट' पर क्लिक करें।
स्टेप 3: डैशबोर्ड पर, 'उपभोक्ता शिकायत' (Consumer Grievance) विकल्प पर क्लिक करें और फॉर्म को ध्यान से भरें। शिकायतकर्ताओं को मुद्दे का सबूत और कोई अन्य सहायक दस्तावेज़ भी अपलोड करना होगा। इसके बाद सबमिट पर क्लिक करें।
स्टेप 3: फीस जमा करें
एक बार फॉर्म पूरी तरह भर जाने के बाद, शिकायतकर्ता को कंज्यूमर कोर्ट के सामने शिकायत दर्ज कराने के लिए एक राशि का भुगतान करना होगा। यह लेनदेन एक सुरक्षित भुगतान गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन किया जा सकता है। नीचे दी गई टेबल 1 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के शिकायत दावों पर लागू चार्जेस के बारे में बताती है:
शिकायत का अमाउंट | केस कौन देखेगा | कितनी फीस देनी होगी |
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1 लाख रुपये तक | डिस्ट्रिक्ट कोर्ट | 100 रुपये |
1-5 लाख रुपये | डिस्ट्रिक्ट कोर्ट | 200 रुपये |
5-10 लाख रुपये | डिस्ट्रिक्ट कोर्ट | 400 रुपये |
10-20 लाख रुपये | डिस्ट्रिक्ट कोर्ट | 500 रुपये |
20-25 लाख रुपये | स्टेट कोर्ट | 2000 रुपये |
50 लाख-1 करोड़ | स्टेट कोर्ट | 4000 रुपये |
1 करोड़ रुपये से ऊपर | नेशनल कोर्ट | 5000 रुपये |
सोर्स: INGRAM (इंटीग्रेटेड ग्रीवेंस रिड्रेसल मैकेनिज्म)
आप अपनी शिकायत के स्टेटस को ट्रैक करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर भी जा सकते हैं या पोर्टल पर 'शिकायत इतिहास' (Grievance History) सेक्शन से चल रही और पिछली शिकायतों की जांच कर सकते हैं।
कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करने के अन्य तरीके क्या हैं?
कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज करने के अन्य तरीकों के बारे में हमने आपको नीचे जानकारी दी है:
- आप अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए 1800-11-4000 या 1915 पर कॉल कर सकते हैं। कॉल नेशनल हॉलिडे को छोड़कर सुबह 08:00 बजे से रात 08:00 बजे (IST) के बीच कभी भी की जा सकती है
- रियल एस्टेट बिल्डर के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का एक और आसान तरीका 8800001915 पर एक एसएमएस भेजना है। इसी नंबर का उपयोग व्हाट्सएप के माध्यम से शिकायत दर्ज करने के लिए भी किया जा सकता है
- कंज्यूमर कोर्ट में कोई भी शिकायत दर्ज करने के लिए आप मोबाइल एप्लीकेशन- NCH ऐप और उमंग ऐप - डाउनलोड कर सकते हैं
शिकायतकर्ता कंज्यूमर कोर्ट से क्या उपाय की उम्मीद कर सकते हैं?
- आपने जो अमाउंट दिया है, वो पूरा अमाउंट मिल जाएगा
- सेवा संबंधी कमियों का सुधार
- शिकायत दर्ज करने में हुई सभी कानूनी लागतों की भरपाई
- देरी से हैंडओवर/प्रोजेक्ट रद्द होने के कारण किसी भी नुकसान या पीड़ा के लिए मुआवजा
- सेलर को उसके गलत व्यापार व्यवहार को बंद करने का आदेश दिया जा सकता है
यह समझना महत्वपूर्ण है कि प्रदान किए गए समाधान या रिफंड का प्रकार हर मामले में काफी अलग-अलग होगा।
इसके अलावा, आपकी राज्य की रियल एस्टेट डेवलपमेंट अथॉरिटी (RERA) जैसी संस्थाओं से भी शिकायत के समाधान के लिए संपर्क किया जा सकता है। हालांकि, सभी प्रकार की प्रॉपर्टीज RERA के तहत नहीं आतीं। हालांकि, RERA द्वारा समाधान तेज होता है, अगर आपके राज्य में RERA नहीं है, तो कंज्यूमर कोर्ट में जाकर आप सही समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
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